नमस्कार,
मैं राधा देवी हर्ष हूं। अपने माता-पिता से जिंदगी जीने का सलीका सीखा और पिछले साठ साल में अपने बच्चों और बाद में अपने नाती पोतों को यह सब सिखाया। अब तो पड़पोतों के साथ यह प्रक्रिया जारी है। जिंदगी ने भी बहुत कुछ सिखाया।
पिछले कुछ दिन से बच्चे कह रहे हैं कि मुझे भी ब्लॉग लिखना चाहिए। इससे देश और समाज के दूसरे बच्चों को भी फायदा मिलेगा। ठीक है शुरू करते हैं...
मैं राधा देवी हर्ष
पिता - डॉ. माधोदास व्यास (पीएचडी हिन्दी)
माता- श्रीमती बसन्ती देवी व्यास
पति - जगत नारायण हर्ष
बच्चे - शशि, अनिल-अनुराधा, राजीव-नीता।
बच्चों के बच्चे - सिद्धार्थ- प्रवीणा, आनन्द, आतुर, गौरव, सौरभ और कान्हा।
पढ़ाई एम ए हिन्दी में और बीएड के बाद एमएड किया।
पूरी उम्र शिक्षिका रही और उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसीपल पद से सेवानिवृत्त हुई। जून 2000 में सेवानिवृत्ति के बाद से पूरा समय परिवार को दे रही हूं। अब कुछ समय नेट पर आप लोगों के साथ बीतेगा..
मैं राधा देवी हर्ष हूं। अपने माता-पिता से जिंदगी जीने का सलीका सीखा और पिछले साठ साल में अपने बच्चों और बाद में अपने नाती पोतों को यह सब सिखाया। अब तो पड़पोतों के साथ यह प्रक्रिया जारी है। जिंदगी ने भी बहुत कुछ सिखाया।
पिछले कुछ दिन से बच्चे कह रहे हैं कि मुझे भी ब्लॉग लिखना चाहिए। इससे देश और समाज के दूसरे बच्चों को भी फायदा मिलेगा। ठीक है शुरू करते हैं...
मैं राधा देवी हर्ष
पिता - डॉ. माधोदास व्यास (पीएचडी हिन्दी)
माता- श्रीमती बसन्ती देवी व्यास
पति - जगत नारायण हर्ष
बच्चे - शशि, अनिल-अनुराधा, राजीव-नीता।
बच्चों के बच्चे - सिद्धार्थ- प्रवीणा, आनन्द, आतुर, गौरव, सौरभ और कान्हा।
पढ़ाई एम ए हिन्दी में और बीएड के बाद एमएड किया।
पूरी उम्र शिक्षिका रही और उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसीपल पद से सेवानिवृत्त हुई। जून 2000 में सेवानिवृत्ति के बाद से पूरा समय परिवार को दे रही हूं। अब कुछ समय नेट पर आप लोगों के साथ बीतेगा..